अगर आप खेती करते हैं और सोच रहे हैं कि कोई ऐसी फसल लगाई जाए जिसमें खर्च भी कम हो और मुनाफ़ा ज्यादा, तो मिर्च की खेती आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है। मिर्च भारत के हर रसोईघर की ज़रूरत है और बाज़ार में इसकी माँग साल भर बनी रहती है।तो चलिए जानते हैं कि 2025 में मिर्च की खेती कैसे करें, जिससे लागत कम हो और मुनाफ़ा बढ़िया मिले।
मिर्च की खेती क्यों फायदेमंद है?
मिर्च की खेती में मेहनत तो लगती है, लेकिन एक बार फसल जम गई तो अच्छा उत्पादन और दाम मिलने पर आप ₹1 लाख प्रति एकड़ तक कमा सकते हैं। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि:
- बाजार में हमेशा मांग रहती है (ताजी और सूखी दोनों रूप में)
- ज्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होती
- कम ज़मीन में भी अच्छा उत्पादन संभव है
- इसे सब्ज़ी के साथ-साथ मसाले के रूप में भी बेचा जा सकता है

शुरुआत कैसे करें? – ज़मीन और तैयारी
ज़मीन का चुनाव
मिर्च के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है।
pH स्तर 6.5 से 7.5 के बीच हो तो फसल अच्छी होती है।
खेत की तैयारी
- खेत को 2-3 बार हल चलाकर भुरभुरा बना लें
- गोबर की खाद (10-15 टन प्रति एकड़) डालकर मिट्टी में मिला दें
- उठी हुई क्यारियाँ (Raised beds) बनाएं ताकि पानी जमा न हो
ध्यान रखें: मिर्च की फसल पानी जमाव से जल्दी खराब होती है, इसलिए खेत का ड्रेनेज अच्छा होना जरूरी है।
बीज का चयन और बुवाई का सही तरीका
बीज कैसे चुनें?
बाजार में कई किस्में हैं लेकिन आप कम लागत और ज्यादा उपज देने वाली किस्में चुनें, जैसे:
किस्म का नाम | विशेषता |
---|---|
G-4 | अच्छी उपज, मसाले के लिए बेहतरीन |
Kashi Anmol | रोग प्रतिरोधी, ताजी मिर्च के लिए बढ़िया |
Teja | तीखी मिर्च, सूखने पर ज्यादा मुनाफ़ा |
बीज उपचार
- बुवाई से पहले बीजों को फंगीसाइड (जैसे कार्बेन्डाजिम) से उपचार करें
- इससे बीज सड़ने से बचते हैं और अंकुरण अच्छा होता है
नर्सरी बनाना
- बीजों को सबसे पहले नर्सरी में बोएं
- 25–30 दिन बाद जब पौधे 4-5 पत्तियों वाले हो जाएं, तो खेत में रोपाई करें

रोपाई और पौधों के बीच दूरी
- रोपाई के लिए सबसे अच्छा समय होता है: फरवरी-मार्च (गर्मी) या जून-जुलाई (बरसात)
- पौधों के बीच की दूरी: 45 सेमी x 45 सेमी
- इससे हवा-पानी की आवाजाही बनी रहती है और रोग का खतरा कम होता है
. सिंचाई – ज्यादा नहीं, बस सही समय पर
मिर्च को जरूरत से ज्यादा पानी नहीं चाहिए।
आपको यह ध्यान रखना होगा कि:
- रोपाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें
- फिर हर 7–10 दिन पर सिंचाई करें (मौसम के हिसाब से)
- फूल और फल आते समय सिंचाई बहुत जरूरी है, वरना फल गिर सकते हैं
ड्रिप सिंचाई सिस्टम हो तो लागत भी कम होगी और पानी भी बचेगा।
रोग और कीट नियंत्रण
आम रोग:
- भूरा धब्बा रोग, मुरझाने की बीमारी, झुलसा रोग
आम कीट:
- थ्रिप्स, माहू, सफ़ेद मक्खी
उपाय:
- नीम तेल का छिड़काव करें (1500 ml प्रति हेक्टेयर)
- समय-समय पर जैविक कीटनाशक या हल्के रसायनों का उपयोग करें
- रोग दिखे तो तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लें
खर्च और कमाई का पूरा गणित (एक एकड़ के लिए)
खर्च का नाम | औसत लागत (₹) |
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बीज और नर्सरी | 3,000 – 5,000 ₹ |
खाद और जैविक सामग्री | 4,000 ₹ |
सिंचाई व्यवस्था | 2,500 ₹ |
कीटनाशक/रोग नियंत्रण | 3,000 ₹ |
मजदूरी व देखरेख | 6,000 ₹ |
कुल अनुमानित लागत | 18,000 – 22,000 ₹ |
उत्पादन: 30 – 35 क्विंटल (ताजी मिर्च), या 6 – 7 क्विंटल (सूखी मिर्च)
बिक्री मूल्य:
- ताजी मिर्च: ₹15 – ₹30 प्रति किलो
- सूखी मिर्च: ₹100 – ₹200 प्रति किलो
संभावित मुनाफ़ा: ₹60,000 – ₹1,00,000 प्रति एकड़

कटाई, भंडारण और बाजार में बिक्री
- मिर्च की पहली तुड़ाई रोपाई के 60-70 दिन बाद होती है
- 5–6 तुड़ाइयाँ हो सकती हैं
- ताजी मिर्च को जल्द बाजार पहुँचाएं
- सूखी मिर्च को छायादार जगह में सुखाएं, पैक करें और मसाला मिलों में या थोक बाजार में बेचें
कुछ आसान लेकिन ज़रूरी सुझाव
- खेती से पहले स्थानीय कृषि अधिकारी या किसान विज्ञान केंद्र से जानकारी जरूर लें
- अगर आप पहली बार मिर्च की खेती कर रहे हैं तो छोटे पैमाने से शुरुआत करें
- सरकारी योजनाओं जैसे PMFME या किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) का लाभ लें
- खेत की नियमित निगरानी करें — समय पर रोग और कीट को पहचानना ही सबसे बड़ा बचाव है