जम्मू में बाढ़ से प्रभावित किसानों के लिए केंद्र सरकार की मदद

नई दिल्ली, 20 सितम्बर 2025: जम्मू के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज अपनी टीम के साथ दौरा किया और किसानों को हरसंभव मदद देने का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसानों को इस विपत्ति से बाहर निकालने के लिए पूरी तरह से तत्पर है। इस दौरान कई राहत उपायों की घोषणा भी की गई। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

बाढ़ से हुई तबाही और राहत की पहल

जब बाढ़ आई, तो उसने किसानों के खेतों को पूरी तरह से तबाह कर दिया। खेतों में रेत के ढेर जमा हो गए, जिससे फसलें दबकर बर्बाद हो गईं। किसानों का जीवन दांव पर था और उनकी मेहनत एक पल में पानी में बह गई। ऐसे में केंद्रीय मंत्री ने किसानों के साथ संवाद किया और उनके नुकसान को समझने की कोशिश की।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “किसानों को दुखी और बर्बाद नहीं होने देंगे। हम उनकी हर समस्या का समाधान निकालेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि सभी सरकारी विभागों ने नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है, और राहत के लिए हर संभव कदम उठाया जाएगा।

केंद्र और राज्य सरकार की मदद

कृषि मंत्री ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार आपदा प्रबंधन के तहत राहत प्रदान करेगी। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत राज्य सरकार को करीब 2,499 करोड़ रुपये मिल चुके हैं, जिसमें 75% हिस्सा केंद्र सरकार का होगा। इसके अलावा, अगर किसी की जान चली जाती है या किसी को गंभीर चोटें आती हैं, तो सरकार उन्हें 4 लाख रुपये तक की मदद देगी।

यहां तक कि बीमित किसानों का नुकसान भी पूरी तरह से सरकार भरपाई करने की कोशिश करेगी। इसके अलावा, मवेशियों और बकरियों के नुकसान पर भी मुआवजा देने का ऐलान किया गया है, जैसे कि दुधारू पशु के नुकसान पर 37,500 रुपये और घोड़ा या बैल के नुकसान पर 32,000 रुपये की सहायता राशि मिलेगी।

प्रधानमंत्री आवास योजना और अन्य घोषणाएं

कृषि मंत्री ने यह भी घोषणा की कि बाढ़ में जिन घरों को नुकसान हुआ है, उनके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 1 लाख 30 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। इसके अलावा, शौचालयों के लिए अलग से 40 हजार रुपये दिए जाएंगे और मनरेगा के तहत मजदूरी 150 दिन तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है।

किसानों के लिए विशेष राहत

कृषि मंत्री ने यह भी बताया कि जिन किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं, उनका सर्वेक्षण कर मुआवजा दिया जाएगा। इसके अलावा, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की एक और किश्त तुरंत जम्मू-कश्मीर के किसानों के खातों में डाली जाएगी। राज्य सरकार से यह अनुरोध किया गया है कि जिन किसानों के पास जमीन का स्वामित्व नहीं है, उन्हें भी इस योजना का लाभ मिले।

खेती का नया रास्ता: रेत की बिक्री

शिवराज सिंह चौहान ने यह सुझाव भी दिया कि जिन किसानों के खेतों में रेत जमा हो गई है, वे उस रेत को बेच सकें, ताकि उनका कुछ नुकसान कम हो सके। इसके लिए खनन के नियमों में कुछ बदलाव किया जा सकता है, जिससे किसान अपनी ज़मीन पर जमा रेत का इस्तेमाल कर सकें और कुछ राहत पा सकें।

संकट के समय में सरकार का साथ

अंत में, शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “कृषि मंत्री के तौर पर मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि हमारे किसान भाई-बहन इस संकट से बाहर निकलें। यह सिर्फ फसलें ही नहीं, बल्कि उनके जीवन का सवाल है। केंद्र सरकार पूरी तरह से उनके साथ खड़ी है।”

यह कदम बेशक किसानों के लिए राहत देने वाला है, लेकिन इसके बावजूद बाढ़ जैसी आपदाओं के बाद किसानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए हर स्तर पर जागरूकता और सतत प्रयासों की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

केंद्र सरकार ने बाढ़ प्रभावित जम्मू के किसानों के लिए जो योजनाएं बनाई हैं, उनसे उन्हें न केवल फसल नुकसान का मुआवजा मिलेगा, बल्कि उनके जीवन की बाकी जरूरी चीजें भी पटरी पर लौट आएंगी। किसानों के लिए यह राहत एक उम्मीद की किरण बनकर उभरी है।

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