खेती सिर्फ बीज बोने और पानी देने तक सीमित नहीं है। अच्छी फसल पाने के लिए ज़मीन की सेहत भी उतनी ही ज़रूरी है। और इस ज़मीन की सेहत को समझने के लिए pH स्तर एक बहुत अहम बात होती है।अब सवाल ये उठता है कि मिट्टी की सेहत आखिर मापते कैसे हैं? तो इसका एक बहुत अहम पैमाना होता है — pH स्तर। ये वही चीज़ है जो तय करती है कि आपकी मिट्टी खट्टी है, खारी है, या एकदम संतुलित। किसान के लिए ये जानना जरूरी है कि उसकी मिट्टी का pH क्या है, क्योंकि इसी के आधार पर पौधों को पोषक तत्व मिलते हैं या नहीं।चलिए इस लेख में विस्तार से समझते हैं कि pH आखिर होता क्या है, इसका खेती से क्या गहरा रिश्ता है, और एक समझदार किसान के तौर पर आपको किन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए ताकि आपकी मेहनत का पूरा फल मिल सके और फसल अच्छी हो।

pH क्या होता है?
pH क्या होता है?
pH का मतलब होता है “Potential of Hydrogen”। सरल भाषा में समझें तो यह एक पैमाना है, जिससे पता चलता है कि मिट्टी खट्टी है या खारी। यानी, मिट्टी में अम्ल (एसिड) ज्यादा है या क्षार (अल्कली)। pH स्तर मिट्टी की सेहत बताता है और यह तय करता है कि पौधों को पोषक तत्व ठीक से मिलेंगे या नहीं। pH का पैमाना 0 से 14 तक होता है:
pH स्तर | अर्थ | मिट्टी की प्रकृति |
---|---|---|
0 – 6.9 | अम्लीय | खट्टी मिट्टी |
7 | तटस्थ | न ज्यादा खट्टी, न ज्यादा खारी |
7.1 – 14 | क्षारीय | खारी मिट्टी |
आपको यह ध्यान रखना होगा कि ज्यादातर फसलें 6.0 से 7.5 pH वाली मिट्टी में अच्छे से बढ़ती हैं।
मिट्टी का pH क्यों मायने रखता है?
किसान के लिए pH जानना सिर्फ तकनीकी बात नहीं है, बल्कि सीधे फसल के अच्छे या खराब होने से जुड़ा मुद्दा है। pH स्तर ही यह तय करता है कि पौधे मिट्टी से जरूरी पोषक तत्व ले पाएंगे या नहीं। अगर pH सही नहीं हुआ, तो चाहे आप कितनी भी महंगी खाद डालें, उसका पूरा फायदा पौधों को नहीं मिलेगा। इससे ना सिर्फ उत्पादन कम होता है, बल्कि मेहनत और लागत दोनों बेकार जाती है।
चलिए आसान भाषा में समझते हैं कि pH के गलत होने से क्या-क्या दिक्कतें हो सकती हैं:
- अम्लीय मिट्टी (pH 5 या कम):
पौधे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश जैसे जरूरी तत्वों को नहीं ले पाते। फसल कमजोर और छोटी रह जाती है। - क्षारीय मिट्टी (pH 8 या ज्यादा):
पौधों की जड़ें पोषक तत्वों को खींच नहीं पातीं। मिट्टी भले ही उपजाऊ दिखे, लेकिन फसल को पोषण नहीं मिल पाता। - तटस्थ या संतुलित pH (6.0 – 7.5):
यही वह स्तर है जिसमें ज्यादातर फसलें सबसे अच्छा विकास करती हैं और खाद का भी पूरा फायदा मिलता है।
इस तरह से आप समझ सकते हैं कि मिट्टी का सही pH सिर्फ एक नंबर नहीं, बल्कि आपकी फसल की नींव है।

फसल के हिसाब से pH का ध्यान कैसे रखें?
हर फसल की मिट्टी से अपनी अलग पसंद होती है। इसका मतलब यह है कि हर फसल को बढ़ने के लिए एक खास pH स्तर की जरूरत होती है, जहां वह सबसे अच्छे से पोषक तत्व ले सके और फल-फूल सके। अगर मिट्टी का pH उस फसल के अनुकूल नहीं होगा, तो फसल कमजोर होगी या उत्पादन कम हो सकता है। इसलिए एक किसान के लिए जरूरी है कि वह अपनी फसल के हिसाब से मिट्टी के pH को समझे और उसका ध्यान रखे।
नीचे कुछ आम फसलों और उनके उपयुक्त pH स्तर दिए गए हैं, ताकि आप अपने खेत की मिट्टी के हिसाब से सही फसल चुन सकें या मिट्टी सुधार कर उपयुक्त फसल उगा सकें
फसल का नाम | उपयुक्त pH स्तर |
---|---|
गेहूं | 6.0 – 7.5 |
धान | 5.5 – 7.0 |
आलू | 5.0 – 6.0 |
गन्ना | 6.5 – 7.5 |
टमाटर | 6.0 – 6.8 |
इस तरह से आप समझ सकते हैं कि मिट्टी का pH सही न होने पर फसल को नुकसान हो सकता है, इसलिए pH का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है।
pH के फायदे अगर सही रहे तो
अगर मिट्टी का pH संतुलित है, तो:
- खाद का पूरा फायदा मिलेगा
- उत्पादन बढ़ेगा
- पौधे कम बीमार होंगे
- मिट्टी की सेहत लंबे समय तक बनी रहेगी

pH की जांच कैसे करें?
pH मापने के कई तरीके हैं:
- मिट्टी परीक्षण लैब में मिट्टी का सैंपल भेजें (कृषि विभाग में इसकी सुविधा होती है)।
- pH मीटर या स्ट्रिप्स से खुद खेत पर जांच करें।
अगर आप खुद जांच करना चाहते हैं, तो pH मीटर बाजार में ₹300-₹500 में मिल जाते हैं, जो एक बार खरीदने के बाद लंबे समय तक काम आते हैं।
pH सुधारने के उपाय
अगर मिट्टी का pH सही नहीं है, तो आप इसे सुधार सकते हैं।
चलिए जानते हैं कैसे:
अम्लीय मिट्टी (खट्टी) के लिए:
- चूना (Lime) या डोलोमाइट डालें – यह pH को बढ़ाता है और मिट्टी को संतुलन में लाता है।
- गाय का गोबर, वर्मी कम्पोस्ट आदि भी धीरे-धीरे pH को सुधारते हैं।
क्षारीय मिट्टी (खारी) के लिए:
- गंधक (Sulphur) या जिप्सम मिलाएं – ये मिट्टी को थोड़ा अम्लीय बनाते हैं।
- हरी खाद (Green manure) जैसे ढैंचा बोना भी मददगार होता है।
निष्कर्ष:
खेती अब परंपरा से आगे बढ़कर विज्ञान और समझदारी की मांग करती है। pH को समझना और जांचना आज के किसान के लिए जरूरी हो गया है।तो अगली बार जब आप खेत की तैयारी करें, तो pH की जांच ज़रूर करें।
याद रखिए – सही pH, अच्छी फसल की पहली सीढ़ी है।